बुधवार, अक्तूबर 29, 2008

शुभ दीपावली


इस चिट्ठे के पाठकों को मेरी तरफ़ से दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं!
आशा करता हूँ की खुशियों का यह त्योहार आप सब को हमेशा खुश रखे!
आपका घर धन-धान्य से भरपूर रहे!

गुरुवार, अक्तूबर 09, 2008

विजयदशमी की बधाई हो!!!!

अपने पाठकों को आज मेरी ओर से विजयदशमी की बहुत बहुत बधाईबुराई पर अच्छाई की जीत की खुशी बनाइयेखूब मिठाई खाईये और खिलाइएकभी कभी लगता है की आजके इस आधिनिक युग में क्या मतलब है इस विजयदशमी का? क्यों फालतू में मेले में जाओ, रावण जलता देखो, भीड़ भड़क्के में धक्के खाओ? आराम से घर पर बैठो और टीवी का आनंद लोक्या आप भी ऐसा सोचते हैं?

शायद मैं भी कभी ऐसा सोचता थालेकिन अब कहीं जाके, भले ही देर से ही सही, पर समझ तो आया की यह सिर्फ़ के दिन का मेला और त्यौहार ही नहीं हैबल्कि बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। भले ही आजकल राम-रावण युद्ध नहीं होता हो, लेकिन बुराई तो हमारे समाज मैं विद्यमान है! और तो और हमारे स्वयं के अन्दर भी है। तो फ़िर क्यों न हम ढूँढें अपने अन्दर की किसी एक बुरी बात, आदत या आचरण को, और उसको अपने से दूर करें। उस बुराई पर वीके पायें तब शायद हम आज का माडर्न रावण नष्ट कर पाये????

बुधवार, अक्तूबर 08, 2008

हिन्दी की बात अलग है!

यार कुछ भी कहो, हिन्दी में लिखने का मजा अलग ही है। अपनी मात्रभाषा होने की वजह से विचारों की तो कभी कमी ही नहीं होती। बल्कि मुझे तो लगता है की कभी हो ही नहीं सकती। मैंने ब्लॉग लिखना लगभग तीन साल पहले शुरू किया था। शुरू में तो बहुत जोश-खरोश से खूब लिखा। क्या-क्या नहीं लिखा, टाइमपास पोस्ट्स करीं, टेक्नीकल भी करीं, फ़िर हिन्दी में भी करीं, और तो और अपने काम से सम्भंदित ब्लॉग भी बना डाला। लेकिन फ़िर कमबख्त समय की मार, पेट की पुकार और जिंदगी के कोल्हू ने मेरे विचारों को बैल की तरह जोत डाला। अब हालत यह है की विचार बाद में आते हैं और सवाल पहले! फ़िर सवालों के जवाब ढूँढने के चक्कर में विचारों की तो कब्र बन जाती है।

अब काफी समय के बाद मैंने देखा की हिन्दी में ब्लॉग करना बहुत आसन हो गया है और साथ ही ढेर सारे लोगों को लिखने का चस्का भी सवार हो गया है। गली का बच्चा-बच्चा अब तीन चार ब्लॉग लिखता है। पता नहीं इतने सारे चिठ्ठों को पढता कौन है? मेरे एक ब्लॉग ब्लॉग पर तो कोई अब टिपण्णी ही नहीं करता। तो मैंने भी सोचा, भाड़ में जाए यह मरदूद कमेंट्स और पढ़नेवालों के आंकडे! हम वो लिख्नेगे जो हम अपनी रोज की जिंदगी में सीख रहे हैं....चाहे अपने रोज के काम से, या फ़िर इधर उधर से जुगादी किताबिएँ पढ़ के, या फ़िर अपने अनुभव से।

अब रोज इतना कुछ देखते हैं, सुनते हैं (बीवी से) और सीखते हैं, तो कमबख्त क्या-क्या याद रखें? अब ब्लॉग पर कुछ लिख देंगे तो याद भी रहेगा........है की नहीं?