अपने पाठकों को आज मेरी ओर से विजयदशमी की बहुत बहुत बधाई। बुराई पर अच्छाई की जीत की खुशी बनाइये। खूब मिठाई खाईये और खिलाइए। कभी कभी लगता है की आजके इस आधिनिक युग में क्या मतलब है इस विजयदशमी का? क्यों फालतू में मेले में जाओ, रावण जलता देखो, भीड़ भड़क्के में धक्के खाओ? आराम से घर पर बैठो और टीवी का आनंद लो। क्या आप भी ऐसा सोचते हैं?
शायद मैं भी कभी ऐसा सोचता था। लेकिन अब कहीं जाके, भले ही देर से ही सही, पर समझ तो आया की यह सिर्फ़ के दिन का मेला और त्यौहार ही नहीं है। बल्कि बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। भले ही आजकल राम-रावण युद्ध नहीं होता हो, लेकिन बुराई तो हमारे समाज मैं विद्यमान है! और तो और हमारे स्वयं के अन्दर भी है। तो फ़िर क्यों न हम ढूँढें अपने अन्दर की किसी एक बुरी बात, आदत या आचरण को, और उसको अपने से दूर करें। उस बुराई पर वीके पायें तब शायद हम आज का माडर्न रावण नष्ट कर पाये????
शायद मैं भी कभी ऐसा सोचता था। लेकिन अब कहीं जाके, भले ही देर से ही सही, पर समझ तो आया की यह सिर्फ़ के दिन का मेला और त्यौहार ही नहीं है। बल्कि बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। भले ही आजकल राम-रावण युद्ध नहीं होता हो, लेकिन बुराई तो हमारे समाज मैं विद्यमान है! और तो और हमारे स्वयं के अन्दर भी है। तो फ़िर क्यों न हम ढूँढें अपने अन्दर की किसी एक बुरी बात, आदत या आचरण को, और उसको अपने से दूर करें। उस बुराई पर वीके पायें तब शायद हम आज का माडर्न रावण नष्ट कर पाये????
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