शुक्रवार, नवंबर 18, 2005

दंश: एक अच्छी फिल्म

आज बहुत दिनों बाद एक काफी अच्छी हिंदी फिल्म देखी। देश में शायद ही किसी को इस बढ़िया फिल्म के बारे में पता हो ? वहाँ ज्यादातर नाच-गाने, आइटम-सॉंग, धूम-धड़ाका, ईष्क-मौहब्बत, अंग-प्रदर्शन वाली, दिखावटी, सजावटी-सी मसाला फिल्में पसंद की जाती हैं। जनता-जनार्दन को वही पसंद आता है, इसलिए निर्माता-निर्देशक ऐसी ही फिल्में बनाकर, फिल्मफेयर पुरस्कार पाकर अपने आपको श्रेष्ठ समझते हैं। लेकिन उन्हीं लोगों के बीच "कनिका वर्मा" जैसे निर्देशक भी होते हैं, जो "दंश" जैसी सशक्त पेशकश के साथ अपनी शुरूआत करते हैं। मिजोरम के क्रांतिकारी आंदोलन की प्रष्ठभूमि में, नारी पर हुए घ्रणित अपराध पर आधारित और अधिकतः एक ही घर में फिल्माई गई "दंश", निश्वित ही मस्तिष्क पर प्रभाव छोड़ने में सक्षम है। सोनाली कुलकर्णी, केय‍केय मेनन और आदित्य श्रीवास्तव का अभिनय सराहनीय है। सम्भवतः पहले नाम के अलावा, बाकी दोनों नामों के साथ आप अभी तक चेहरा ना जोड़ पाये हों, लेकिन देखते ही जरूर पहचान लेंगे। सोनाली का आक्रमणशील एवम् केय केय का नियंत्रित अभिनय देखने लायक है। अगर आपने "दंश" नंही देखी है, तो जरूर देंखे। अगर मसाला पिक्चर जैसी अपेक्षा कर रहे हैं, तो पहले ही बताये देता हूँ, कि यह फिल्म थोड़ी धीमी गति से चलेगी, इसमें एक नृत्य आधारित गाना है और बाकी दो तात्पर्य युत्त गाने हैं (अगर आप बोल सुनते हों तो)।

एक बात और, थोड़ा ढूंढा, तो पता चला की ये तीन पुरस्कारों के लिए चुनी गई है (Festival of Asian Cinema 2005, International Film Festival at Palm Springs 2006 and International Film Festival at Bangkok 2006) और अंग्रेजी फिल्म "Death and the Maiden" पर आधारित है। अगर आपको पसंद आये, तो यहाँ टिप्पणी जरूर करें। (More reviews can be found here and here)

गुजारिशः ‍ अगर आपके पास इसके गाने mp3 में हों, तो भेजने की कृपा करें।

2 टिप्‍पणियां:

Pratik Pandey ने कहा…

शायद आप दंश नामक फिल्‍म की बात कर रहे हैं। डंश तो कुछ अजीब सा मालुम पड़ता है। :)

Kanishk | कनिष्क ने कहा…

आपकी टिप्पणी के लिऐ धन्यवाद। शायद मुझे स्पष्ट नंही हुआ की सही तरह से कैसे लिखा जायेगा। मैं गलती का सुधार कर लूँगा।