मेरी रियासत में आपका स्वागत है। पहले मैनें सोचा था की अपने अंग्रेजी वाले चिट्ठे को ही द्विभाषी बना दूंगा और आराम से एक ही चिट्ठे में दोनों भाषाओं का समागम कर दूंगा। पर अब लग रहा है की काम जरा कठिन है। अतः क्यों ना हिन्दी में एक अलग चिट्ठे की शुरूआत कर दी जाए। तो फिर देबाशीष जी (सधन्यवाद) के बनाये नए आवरण का उपयोग करके मैंने चिट्ठाकार जगत में अपनी रियासत कायम कर ही ली। तो अब आप यहाँ इत्मीनान से विराजिए, अपना समय व्यतीत कीजिये और पूरी स्वतंत्रता से अपने विचार प्रकट कीजिए।
शनिवार, नवंबर 12, 2005
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5 टिप्पणियां:
एक टिप्पणी अपने ही चिट्ठे पर, बस यूँ ही आवरण को जाँचने के लिए।
कनिष्क मियाँ - आवरण तो अच्छा है पर फॉयरफॉक्स में वाट लग जाती है। टैम्पलेट में कहीं पर letter-spacing या justify है उसे कमेन्ट ऑउट कर दो और फिर सब कुछ ठीक हो जाएगा।
रियासत खोलने के लिए शुभकामनांए पर कुर्सियाँ खाली क्यूँ हैं???
घणि खम्मा महाराज!
रियासत के दरवाजे रियाआ के खोलने के लिये बहुत बहुत बधाई। उम्मीद है हर दिन नया अध्याय लिखा जायेगा।
ब्लॉग का टैम्पलेट धान्सू दिख रहा है। लगे रहो। आपका ब्लॉग नारद मे जोड़ दिया गया है।
Aap mere pehle grahak hue bhaiye. Jaankar accha laga ki kissi ko to to template pasand aaya, aapne jo "Bullets" darshane ki kaarguzari ki usse prerna bhi milli. Badhiya hai!
hmm..gud attempt
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